ANI और क्रिएटर्स का विवाद: क्या यह ‘फेयर यूज़’ है या ‘हफ्ता वसूली’?

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हाल ही में एक बड़ा विवाद सामने आया है जिसमें न्यूज़ एजेंसी ANI ने एक यूट्यूब क्रिएटर मोहक से ₹45 लाख की मांग की है। मोहक एक एजुकेशनल और इनफॉरमेशनल कंटेंट क्रिएटर हैं, जिन्होंने अपने वीडियोज़ में ANI की कुछ सेकंड्स की क्लिप्स का इस्तेमाल किया था। ANI ने इस पर कॉपीराइट स्ट्राइक लगा दी और एक बड़ी रकम की डिमांड की। यह मामला सिर्फ मोहक तक सीमित नहीं है—कई अन्य क्रिएटर्स ने भी ऐसी शिकायतें की हैं।

लेकिन सवाल यह है: क्या ANI का यह कदम सही है? क्या यह ‘फेयर यूज़’ के अधिकार का उल्लंघन है? या फिर यह एक तरह की ‘हफ्ता वसूली’ है जिसमें क्रिएटर्स को डरा-धमकाकर पैसे वसूले जा रहे हैं?

मामला क्या है?

मोहक ने अपने वीडियो में बताया कि उन्होंने दो वीडियो बनाए थे:

  1. एक 38 मिनट के वीडियो में ANI की सिर्फ 9 सेकंड की फुटेज यूज़ की थी।
  2. दूसरे 16 मिनट के वीडियो में ANI की 11 सेकंड की क्लिप इस्तेमाल की थी।

ANI ने इन दोनों वीडियो पर कॉपीराइट स्ट्राइक लगा दी और मोहक से ₹45 लाख की मांग की। ANI का कहना है कि अगर मोहक उनका सब्सक्रिप्शन मॉडल खरीद लें (जो कि लाखों रुपये का है), तो वे स्ट्राइक हटा देंगे।

यही नहीं, अन्य क्रिएटर्स जैसे थगेश और रजत पवार ने भी बताया कि ANI ने उनसे भी लाखों रुपये की मांग की है।

क्या ANI का बिजनेस मॉडल गलत है?

ANI एक न्यूज़ एजेंसी है जो अपनी फुटेज और इंटरव्यूज़ को अन्य मीडिया हाउसेस को बेचती है। अब उन्होंने एक नया बिजनेस मॉडल शुरू किया है—यूट्यूब क्रिएटर्स को सब्सक्रिप्शन बेचना

लेकिन समस्या यह है कि वे सीधे क्रिएटर्स को कॉपीराइट स्ट्राइक लगाकर डरा रहे हैं और फिर उन्हें महंगे सब्सक्रिप्शन के लिए मजबूर कर रहे हैं। यह तरीका अनैतिक और गलत लगता है।

फेयर यूज़ क्या है?

भारत और अंतरराष्ट्रीय कॉपीराइट कानूनों के तहत, “फेयर यूज़” एक ऐसा प्रावधान है जहाँ आप किसी की कंटेंट को कमेंट्री, क्रिटिसिज्म, एजुकेशन, या पैरोडी के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं, बशर्ते आप पूरी क्लिप न चलाएँ और उसमें अपनी वैल्यू ऐड करें।

  • अगर कोई क्रिएटर 38 मिनट के वीडियो में सिर्फ 9 सेकंड की क्लिप यूज़ करता है और उस पर एनालिसिस करता है, तो यह फेयर यूज़ के अंतर्गत आता है।
  • लेकिन अगर कोई न्यूज़ चैनल ANI की पूरी क्लिप बिना क्रेडिट दिए चलाता है, तो वह गलत है।

ANI का यहाँ दोहरा रवैया है—वे बड़े मीडिया हाउसेस को तो अपनी क्लिप्स बेचते हैं, लेकिन छोटे क्रिएटर्स को डरा-धमकाकर पैसे वसूल रहे हैं।

क्या होना चाहिए?

  1. YouTube और सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए – इंफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्ट्री को इस मामले में गाइडलाइन्स जारी करनी चाहिए।
  2. क्रिएटर्स को सपोर्ट करें – अगर ANI गलत है, तो #StandWithMohak जैसे ट्रेंड्स को बढ़ावा देना चाहिए।
  3. पारदर्शिता हो – ANI को अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए। अगर उनका बिजनेस मॉडल वैध है, तो उसे सबके सामने रखना चाहिए।

निष्कर्ष

यह मामला सिर्फ पैसे का नहीं, बल्कि क्रिएटर्स की आज़ादी और निष्पक्षता का है। अगर ANI जैसी बड़ी संस्थाएँ छोटे क्रिएटर्स को इस तरह प्रेशराइज़ करेंगी, तो भविष्य में कोई भी जानकारीपूर्ण कंटेंट बनाने से डरेगा।

#NoToHaftaVasooli
#StandWithMohak

अगर आपको लगता है कि यह अन्याय है, तो इस आर्टिकल को शेयर करें और क्रिएटर्स का साथ दें! 🚀

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